इश्क -24-Nov-2024
प्रतियोगिता हेतु
दिनांक: 24/11/2024
इश्क
जी हां! ये इश्क ही तो है
जो हमें ज़िंदा रखता है
और हमें
हमारे होने का अहसास
कराता है.....।
कि....हम ज़िंदा हैं....।
वरना बिना इश्क ज़िंदगी
अधूरी सी लगती है...।
अब , इश्क हो सकता किसी से भी
चाहे वो कोई इंसान हो,
मकान हो....
सामान हो....
या कोई हो भावात्मक रिश्ता...।
इश्क हो सकता है कलम से,
इश्क हो सकता है लेखन से,
इश्क हो सकता है
अपने अधूरे पीछे छूटे ख़्वाब से,,,
उस ख़्वाब से
जिसे पूरा करना
अब हमारा जुनून है।।
यही जुनून इश्क है।।
इश्क बिना ज़िंदगी अधूरी है
जहां इश्क नहीं
वहां शायद कुछ नहीं....।।
शाहाना परवीन 'शान'...✍️
मुज़फ्फरनगर उत्तर प्रदेश